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तांत्रिक साधनाओं की जानकारी
तांत्रिक मंजूषा जिसने अपने जीवन में तांत्रिक बनने के लिए कई संघर्ष है किए हैं.....
अभी तक आपने जाना कि मंजूषा एक व्यापारी की लड़की को पिशाच से बचाने की कोशिश करती है
लेकिन शादी वाले दिन वह लड़की कहीं गायब हो जाती है अब यह घटना घटित होने से व्यापारी के परिवार में बहुत चिंता बनी हुई थी इसी कारण सभी लोगों ने उस लड़की को चारों तरफ ढूंढना शुरू कर दिया लेकिन इसमें इनको सफलता नहीं मिल रही थी मंजूषा को व्यापारी ने बुला लिया और कहा कि देवी आप कुछ कीजिए कहीं मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा ना हो जाए इसी कारण मंजूषा ने अपनी तंत्र शक्ति का प्रयोग किया और उसके चरण चिन्ह बनते चले गए उन चरण चिन्हों का पीछा करते हुए सभी लोग गांव से बाहर जाने लगे अभी सभी लोग कुछ दूर ही पहुंचे थे कि उनमें से कुछ लोग व्यापारी के पास दौड़कर चले आए और उन्होंने कहा अपनी पुत्री को संभालो वह क्या कर रही है उसने तो लॉक लग जा और मर्यादा नष्ट कर दी है जल्दी चलो व्यापारी ने पूछा ऐसा क्या घटित हो गया जिसकी वजह से तुम लोग ऐसा कह रहे हो तुम्हारी पुत्री जिस जगह कुआं पूजन होता है उस जगह पर पूरी तरह नग्न होकर जमीन में लेटी हुई है और तरह-तरह की आवाजें निकाल रही है जैसे वह खेल रही हो वह जमीन में पड़े हुए अपने सारे कपड़े खत्म कर चुकी है और लोक लज्जा को भूल कर उस कुए पर लेटी और आनंदित हो रही हो जल्दी चलो कि वह ऐसा क्यों कर रही है क्या वह पागल हो गई है फिर इसके बाद मंजूषा के साथ सभी लोग उस कुआं पूजन वाले जगह पर पहुंच गए सभी ने जब व्यापारी की लड़की को देखा तो वह पूरी तरह से नग्न थी और सभी ने अपनी आंखें बंद कर ली व्यापारी की कन्या जमीन पर नग्न अवस्था में पड़ी हुई थी और पड़े पड़े वह तरह-तरह की आवाजें निकाल रही थी फिर मंजूषा ने अपने मंत्र का प्रयोग किया और फिर उन्हें वास्तविकता दिख गई उन्होंने देखा कि जमीन में व्यापारी की कन्या पिशाच के साथ लेटी हुई है और पिशाच उसका बलात्कार कर रहा था इसी कारण से वह कन्या अपने मुंह से अजीब अजीब से शब्द निकाल रही थी और उसके साथ होते हुए बलात्कार को कोई नहीं देख सकता था सभी लोगों को यही लग रहा था कि यह लड़की पागल हो चुकी है अपने आप को नग्न करके खुश है किंतु मंजूषा की आंखों से कुछ भी नहीं बचने वाला था
फिर देवी मंजूषा ने यह सब देख कर उन्होंने अपने मंत्रों का प्रयोग करना शुरू किया और इन मंत्रों के प्रयोग से वह पिशाच बंद गया लेकिन वह निकल जाता गया और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा और मंजू सर से कहने लगा कि तुम कितनी भी बड़ी तांत्रिक हो ना तो मुझे पकड़ पाओगे और ना मुझे मार पाओगी लेकिन मैं अवश्य ही इस कन्या को मार डालूंगा और जब तक के क्या होगी तब तक के इस लड़की से मैं अपनी पत्नी की तरह संभोग करता रहूंगा अन्यथा इसे मार डालूंगा यह सभी बातें सुनकर मंजूषा को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपने मंत्रों का प्रयोग करके उस पिशाच को पकड़ लिया और उसे पकड़ कर खींच लिया फिर मंजूषा में देखा कि यह तो कोई और पिशाच है फिर उन्होंने दूसरे मंत्र का प्रयोग किया और पैसा आज को फिर से खींच लिया फिर वही देखा कि यह दूसरा पिशाच है यह देखकर वह पिशाच हंसने लगा और कहने लगा ना तो मुझे पकड़ पाओगे ना मार पाओगी हमेशा ही दूसरे पिशाच को पकड़ते रहोगी क्योंकि मैं 1000 वर्ष पुराना के साथ हूं और तुम्हें मुझे पकड़ने के लिए एक हजार बार पकड़ना होगा तभी मैं तुम्हारी पकड़ में आऊंगा इतना समय मेरे लिए बहुत है इस कन्या को अपने लोक में ले जाने के लिए, इसे मारने के लिए मंजूषा यह बात समझ चुकी थी के पिशाच को पकड़ना आसान नहीं है और ऐसे किसी भी मंत्र में बांधा जा सकता है और ना मारा जा सकता है क्योंकि 1000 पिशाच को नष्ट किए बिना इसे पकड़ना असंभव है मंजूषा ने कुछ नहीं कहा फिर व्यापारी की कन्या कुएं में छलांग लगा देती है व्हाट्सएप भी उस कन्या को बचाने के लिए दौड़ते हैं और मंजूषा अपने तांत्रिक मंत्रों के द्वारा उस कन्या की रक्षा कर लेती है और पिशाच वहां से भाग जाता है और व्यापारी की कन्या को घर लाया जाता है और मंजूषा व्यापारी से कहती है कि अब इस कन्या को बचाने का कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ता और व्यापारी रोने लगता है
और कहता है देवी अगर आप ऐसा कहेगी तो मेरी कन्या की रक्षा कैसे हो पाएगी मंजूषा ने कहा मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि अगर मैं उसे बार-बार पकड़ती हूं तो वह मौका पाकर इस कन्या का वध कर देगा क्योंकि मैं हर समय यहां पर उपस्थित नहीं रह सकता और मैं उसे एक हजार बार मौके दे नहीं सकती यह बड़ी विकट समस्या है लेकिन उस व्यापारी की प्रार्थना पर, आखिरकार मंजूषा को साधना के माध्यम से अपने लिए कुछ ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करनी पड़ी उन्होंने माता त्रिपुर भैरवी की साधना शुरू कर दी ताकि उनके निर्देश उसे प्राप्त हो सके माता ने मंजूषा को सपने के माध्यम से प्रेत को सिद्ध करने की विधि बताई माता ने स्वप्न में कहा ना इसे बांधना है ना मारना है क्योंकि इतना पुराना प्रेत ना कभी बंद सकता है और ना कभी मारा जा सकता है उसके अधीन सभी सेना समाप्त ना हो जाए इसलिए मैं तुम्हें एक युक्ति का मार्ग बताती हूं तुम इसी पिशाच को सिद्ध कर लो तभी कन्या की रक्षा हो सकेगी और कन्या का जीवन सुधरेगा और इस प्रेत का भी जीवन सुधरेगा क्योंकि उसे सिद्ध कर लेने के बाद में वह तुम्हारे अधीन हो जाएगा और अपनी इच्छा अनुसार कार्य नहीं कर पाएगा यह बात मंजूषा को समझ में आ चुकी थी अगले दिन ही कृष्ण पक्ष के शुक्रवार को मंजूषा दक्षिण की ओर मुख करके नग्न अवस्था में बैठकर सामने काले रंग के आसन पर तांबे की प्लेट में चमेली का तेल मिलाकर सिंदूर से एक पुरुष की आकृति बनाई और उस आकृति के हृदय में पूजन करने लगी उस पर पिशाच सिद्धि गोलक स्थिर किया अपने देश सुरक्षा के लिए अपनी चारों और उन्होंने रक्षा कवच बनाया और काले हकीक की माला से गुरु मंत्र के पश्चात पिशाच मंत्र का 21 माला जाप इन्होंने करना था यह साधना उन्हें 3 दिनों तक में करनी थी रात्रि के पहले पहर से लेकर जब तक के 21 माला पूर्ण ना हो जाए तब तक साधना करनी थी उस गोलक और पिशाच मंत्र के माध्यम से पिशाच की सिद्धि करना शुरू किया उनके साथ ना सफल हुई और पिशाच उनके सामने प्रकट हुआ और माफी मांगते हुए कहने लगा कि आपने मुझे क्यों बुलाया हैं फिर मंजूषा ने कहा मैंने तुम्हें सिद्ध किया है आपसे तुम मेरे अधीन रहोगे और मेरी इच्छा अनुसार ही कार्य करोगे इस प्रकार मंजूषा ने 1000 वर्ष पुराने पिशाच की सिद्धि प्राप्त कर ली इसी कारण व्यापारी की कन्या भी उस पिशाच से पूर्ण रूप से मुक्त हो चुकी थी हमेशा के लिए उसके बाद व्यापारी की कन्या का विवाह संपन्न हुआ और मंजूषा अपने आश्रम आ पहुंची
मंजूषा की कहानी यहां पर ही समाप्त नहीं होती क्योंकि मंजूषा को और भी कई लोगों की सहायता करनी थी….