Wednesday, August 4, 2021

                                                                                PART = 6

 तांत्रिक साधनाओं की जानकारी

तांत्रिक मंजूषा जिसने अपने जीवन में तांत्रिक बनने के लिए कई संघर्ष है किए हैं.....

 अभी आपने जाना कि मंजूषा एक व्यापारी की लड़की को पिशाच से बचाने की कोशिश करती है


लेकिन शादी वाले दिन वह लड़की कहीं गायब हो जाती है अब यह घटना घटित होने से व्यापारी के परिवार में बहुत चिंता बनी हुई थी इसी कारण सभी लोगों ने उस लड़की को चारों तरफ ढूंढना शुरू कर दिया लेकिन इसमें इनको सफलता नहीं मिल रही थी मंजूषा को व्यापारी ने बुला लिया और कहा कि देवी आप कुछ कीजिए कहीं मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा ना हो जाए इसी कारण मंजूषा ने अपनी तंत्र शक्ति का प्रयोग किया और उसके चरण चिन्ह बनते चले गए उन चरण चिन्हों का पीछा करते हुए सभी लोग गांव से बाहर जाने लगे अभी सभी लोग कुछ दूर ही पहुंचे थे कि उनमें से कुछ लोग व्यापारी के पास दौड़कर चले आए और उन्होंने कहा अपनी पुत्री को संभालो वह क्या कर रही है उसने तो लॉक लग जा और मर्यादा नष्ट कर दी है जल्दी चलो व्यापारी ने पूछा ऐसा क्या घटित हो गया जिसकी वजह से तुम लोग ऐसा कह रहे हो तुम्हारी पुत्री जिस जगह कुआं पूजन होता है उस जगह पर पूरी तरह नग्न होकर जमीन में लेटी हुई है और तरह-तरह की आवाजें निकाल रही है जैसे वह खेल रही हो वह जमीन में पड़े हुए अपने सारे कपड़े खत्म कर चुकी है और लोक लज्जा को भूल कर उस कुए पर लेटी और आनंदित हो रही हो जल्दी चलो कि वह ऐसा क्यों कर रही है क्या वह पागल हो गई है फिर इसके बाद मंजूषा के साथ सभी लोग उस कुआं पूजन वाले जगह पर पहुंच गए सभी ने जब व्यापारी की लड़की को देखा तो वह पूरी तरह से नग्न थी और सभी ने अपनी आंखें बंद कर ली व्यापारी की कन्या जमीन पर नग्न अवस्था में पड़ी हुई थी और पड़े पड़े वह तरह-तरह की आवाजें निकाल रही थी फिर मंजूषा ने अपने मंत्र का प्रयोग किया और फिर उन्हें वास्तविकता दिख गई उन्होंने देखा कि जमीन में व्यापारी की कन्या पिशाच के साथ लेटी हुई है और पिशाच उसका बलात्कार कर रहा था इसी कारण से वह कन्या अपने मुंह से अजीब अजीब से शब्द निकाल रही थी और उसके साथ होते हुए बलात्कार को कोई नहीं देख सकता था सभी लोगों को यही लग रहा था कि यह लड़की पागल हो चुकी है अपने आप को नग्न करके खुश है किंतु मंजूषा की आंखों से कुछ भी नहीं बचने वाला था




                फिर देवी मंजूषा ने यह सब देख कर उन्होंने अपने मंत्रों का प्रयोग करना शुरू किया और इन मंत्रों के प्रयोग से वह पिशाच बंद गया लेकिन वह निकल जाता गया और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा और मंजू सर से कहने लगा कि तुम कितनी भी बड़ी तांत्रिक हो ना तो मुझे पकड़ पाओगे और ना मुझे मार पाओगी लेकिन मैं अवश्य ही इस कन्या को मार डालूंगा और जब तक के क्या होगी तब तक के इस लड़की से मैं अपनी पत्नी की तरह संभोग करता रहूंगा अन्यथा इसे मार डालूंगा यह सभी बातें सुनकर मंजूषा को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपने मंत्रों का प्रयोग करके उस पिशाच को पकड़ लिया और उसे पकड़ कर खींच लिया फिर मंजूषा में देखा कि यह तो कोई और पिशाच है फिर उन्होंने दूसरे मंत्र का प्रयोग किया और पैसा आज को फिर से खींच लिया फिर वही देखा कि यह दूसरा पिशाच है यह देखकर वह पिशाच हंसने लगा और कहने लगा ना तो मुझे पकड़ पाओगे ना मार पाओगी हमेशा ही दूसरे पिशाच को पकड़ते रहोगी क्योंकि मैं 1000 वर्ष पुराना के साथ हूं और तुम्हें मुझे पकड़ने के लिए एक हजार बार पकड़ना होगा तभी मैं तुम्हारी पकड़ में आऊंगा इतना समय मेरे लिए बहुत है इस कन्या को अपने लोक में ले जाने के लिए, इसे मारने के लिए मंजूषा यह बात समझ चुकी थी के पिशाच को पकड़ना आसान नहीं है और ऐसे किसी भी मंत्र में बांधा जा सकता है और ना मारा जा सकता है क्योंकि 1000 पिशाच को नष्ट किए बिना इसे पकड़ना असंभव है मंजूषा ने कुछ नहीं कहा फिर व्यापारी की कन्या कुएं में छलांग लगा देती है व्हाट्सएप भी उस कन्या को बचाने के लिए दौड़ते हैं और मंजूषा अपने तांत्रिक मंत्रों के द्वारा उस कन्या की रक्षा कर लेती है और पिशाच वहां से भाग जाता है और व्यापारी की कन्या को घर लाया जाता है और मंजूषा व्यापारी से कहती है कि अब इस कन्या को बचाने का कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ता और व्यापारी रोने लगता है





और कहता है देवी अगर आप ऐसा कहेगी तो मेरी कन्या की रक्षा कैसे हो पाएगी मंजूषा ने कहा मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि अगर मैं उसे बार-बार पकड़ती हूं तो वह मौका पाकर इस कन्या का वध कर देगा क्योंकि मैं हर समय यहां पर उपस्थित नहीं रह सकता और मैं उसे एक हजार बार मौके दे नहीं सकती यह बड़ी विकट समस्या है लेकिन उस व्यापारी की प्रार्थना पर, आखिरकार मंजूषा को साधना के माध्यम से अपने लिए कुछ ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करनी पड़ी उन्होंने माता त्रिपुर भैरवी की साधना शुरू कर दी ताकि उनके निर्देश उसे प्राप्त हो सके माता ने मंजूषा को सपने के माध्यम से प्रेत को सिद्ध करने की विधि बताई माता ने स्वप्न में कहा ना इसे बांधना है ना मारना है क्योंकि इतना पुराना प्रेत ना कभी बंद सकता है और ना कभी मारा जा सकता है उसके अधीन सभी सेना समाप्त ना हो जाए इसलिए मैं तुम्हें एक युक्ति का मार्ग बताती हूं तुम इसी पिशाच को सिद्ध कर लो तभी कन्या की रक्षा हो सकेगी और कन्या का जीवन सुधरेगा और इस प्रेत का भी जीवन सुधरेगा क्योंकि उसे सिद्ध कर लेने के बाद में वह तुम्हारे अधीन हो जाएगा और अपनी इच्छा अनुसार कार्य नहीं कर पाएगा यह बात मंजूषा को समझ में आ चुकी थी अगले दिन ही कृष्ण पक्ष के शुक्रवार को मंजूषा दक्षिण की ओर मुख करके नग्न अवस्था में बैठकर सामने काले रंग के आसन पर तांबे की प्लेट में चमेली का तेल मिलाकर सिंदूर से एक पुरुष की आकृति बनाई और उस आकृति के हृदय में पूजन करने लगी उस पर पिशाच सिद्धि गोलक स्थिर किया अपने देश सुरक्षा के लिए अपनी चारों और उन्होंने रक्षा कवच बनाया और काले हकीक की माला से गुरु मंत्र के पश्चात पिशाच मंत्र का 21 माला जाप इन्होंने करना था  यह साधना उन्हें 3 दिनों तक में करनी थी रात्रि के पहले पहर से लेकर जब तक के 21 माला पूर्ण ना हो जाए तब तक साधना करनी थी उस गोलक और पिशाच मंत्र के माध्यम से पिशाच की सिद्धि करना शुरू किया उनके साथ ना सफल हुई और पिशाच उनके सामने प्रकट हुआ और माफी मांगते हुए कहने लगा कि आपने मुझे क्यों बुलाया हैं फिर मंजूषा ने कहा मैंने तुम्हें सिद्ध किया है आपसे तुम मेरे अधीन रहोगे और मेरी इच्छा अनुसार ही कार्य करोगे इस प्रकार मंजूषा ने 1000 वर्ष पुराने पिशाच की सिद्धि प्राप्त कर ली इसी कारण व्यापारी की कन्या भी उस पिशाच से पूर्ण रूप से मुक्त हो चुकी थी हमेशा के लिए उसके बाद व्यापारी की कन्या का विवाह संपन्न हुआ और मंजूषा अपने आश्रम आ पहुंची 




मंजूषा की कहानी यहां पर ही समाप्त नहीं होती क्योंकि मंजूषा को और भी कई लोगों की सहायता करनी थी….


  PART = V

 तांत्रिक साधनाओं की जानकारी

तांत्रिक मंजूषा जिसने अपने जीवन में तांत्रिक बनने के लिए कई संघर्ष है किए हैं.....



            अभी तक आपने मंजूषा की साधना के बारे में जाना है की मंजूषा किस प्रकार एक व्यापारी की बेटी की समस्या को हल करने की कोशिश करती है जब वह व्यापारी के घर पहुंचती है तो उसे पता चलता है कि वह उसकी लडकी का किसी अज्ञात अदृश्य शक्ति ने बलात्कार किया है अब इस समस्या से अत्यधिक क्रोधित होकर मंजूषा ने व्यापारी से कहा

तुम्हारे घर में जो भी आ पवित्र सकती है उसे मैं नष्ट कर सकती हूं लेकिन वह शक्ति ऐसा क्यों कर रही है यह जानना आवश्यक है इसलिए मुझे उसका दृश्य शक्ति से बातचीत करनी होगी क्योंकि यहां एक छोटी विद्या है इसलिए मैं स्वयं इससे बातचीत नहीं कर सकती इसके लिए मुझे कोई ऐसा चाहिए जो उस शक्ति को बुलाकर उससे बातचीत कर सकें व्यापारी ने यह बात अन्य लोगों को बताइए उन्हीं में से एक रिश्तेदार ने उसे कहा कि पास के ही गांव में कोई एक ओझा औरत रहती है वह आत्माओं से बातचीत कर सकती है अगर आप अनुमति दें तो उसे बुलाया जा सकता है व्यापारी ने कहा ठीक है जाकर उसे बुला लाओ आखिर मुझे पता चल सकेगा कि आखिर कौन सी आत्मा मेरी पुत्री के पीछे पड़ी हुई है इस प्रकार से उस ओझा औरत को बुलाया गया जब वह ओझा औरत उस घर में अंदर पहुंची तो वह आश्चर्य में पड़ गई कन्या को देख कर कहने लगी यह कन्या जीवित है या एक आश्चर्य की बात है इस पर एक बहुत पुरानी पिसाज का असर मुझे दिखाई दे रहा है |



इसलिए आपको कुछ भी करके उस पिशाच को हटाना ही होगा मैं इस कन्या को ले जाकर उस पिशाच से बातचीत करना चाहती हूं इसलिए आप लोग यहां से हट जाओ अब मैं यहां पर विशेष तरह की प्रक्रिया करूंगी और हो सके तो आज से बात करने की कोशिश करूंगी वहां पिशाच जब ही आएगा तब वह चाहेगा उसके लिए मैं ऐसा वातावरण निर्मित कर दूंगी कि उसे आना ही होगा इस प्रकार से उस ओझा औरत के कहने से सभी लोग बाहर चले गए उसके बाद ओझा औरत ने उसे लड़की से कहा कि तुम जल में उतर कर पूर्ण नग्न होकर बैठ जाओ क्योंकि वह पिशाच तेरे शरीर से ही आकर्षित होकर तुझ पर फिदा हो गया था इसलिए तुम वैसा ही करो क्योंकि तुम्हें देखकर यहां आएगा और तुम्हारे माध्यम से मैं उसी से बातचीत कर पाऊंगी इस प्रकार से उस कन्या ने गर्दन भर जल में उतर कर ध्यान करना शुरू कर दिया और उसने आमंत्रण दिया है कि जो भी शक्ति उसे चाहती है वह यहां पर आ जाए ऐसा कहने के पश्चात कुछ ही समय में वहां पर एक पिशाच प्रकट हो गया उसे देखकर उस ओझा औरत ने उससे कहा कि तू यहां पर क्यों आया है तू इस लड़की के जो पीछे पड़ा है तो क्यों इस लड़की को परेशान कर रहा है इसकी क्यों शादी नहीं होने दे रहा है आखिर इस लड़की ने तेरा क्या बिगाड़ा है पिशाच ने सारी बात सुन कर कहा कि यह कन्या मेरी पत्नी है मैं अपनी पत्नी को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा इस बात पर ओझा औरत ने कहा कि यहां कन्या कब तेरी पत्नी बन गई यह बात सुनकर पिशाच हंसने लगा और कहने लगा कि यह लड़की पूर्व जन्म में मेरी पत्नी थी तो ओझा औरत ने उसे कहा कि तू इस लड़की को छोड़ कर चले जाते हो कि पूर्व जन्म की बातें पूर्व जन्म में ही रहने दें यह बात सुनकर पिशाच हंसने लगा और कहने लगा कि तुझे शायद पता नहीं कि मैं 1000 वर्ष पुराना पिशाच हूं और इसमें भी 1000 वर्ष बाद जन्म लिया है इसलिए इसे तो मैं प्राप्त करके ही रहूंगा इसे मार कर मैं अपने साथ ही रखूंगा यह कह कर वह पिशाच हंसने लगा ओझा औरत ने कहा पूर्व जन्म की बात तो समझ में आती है मगर तो इस जन्म में ऐसी लड़की से कैसे जुड़ गया इसके बारे में मुझे बताओ |




                   उस पिशाच ने बताया कि यहां एक दिन अपनी सहेलियों के साथ जंगल गई और अपनी सहेलियों के साथ ही एक स्थान में खेलना शुरू किया सभी झुपने लगी तब यह छपते छपते कटीली झाड़ी के पास पहुंच गई और वहां पर इसका वस्त्र फस गया था अपने वस्त्र को निकालने के चक्कर में इसके शरीर से कांटे रगड़ खा गए और कुछ रक्त वहां जमीन पर गिर गया यह वही स्थान था जहां पर 1000 साल पहले मेरी मृत्यु हुई थी ऐसे स्थान पर मैं काफी समय से निवास कर रहा था अब जब इसका रक्त उस स्थान पर गिरा तो मुझे इसकी याद वापस आ गई और मैं समझ गया कि यह वही है जो मेरे पिछले जन्म में मेरी प्रेमिका थी इसलिए मैंने इसे प्राप्त करने की कोशिश की किंतु इसके घर वाले इसकी शादी करवाना चाहते थे यही मेरी समस्या थी इसलिए मैंने इसके होने वाले पति को मार डाला इसी तरह मैंने दूसरे के साथ भी ऐसा किया तीसरे को मैं नहीं मार पाया इसलिए मैंने सोचा कि यह मेरे हाथ से निकल जाएगी इसलिए मैंने एक के साथ संभोग किया और इसे अपना बना लिया अब यह सिर्फ मेरी है और अब मैं इसे अपने साथ ले जाऊंगा और इसे मार कर के अपना बना लूंगा अगर किसी ने मेरा विवाह इससे रुकवाया तो, कोई दूसरा इंसान इससे भी वह नहीं कर सकता है यह सब बातें सुनकर उस ओझा औरत ने कहा तू पागल हो गया है तू एक पिशाच है और यह लड़की एक मानव और पिछले जन्म की बातें इस जन्म में लागू करना यह सब बेवकूफी है मैं तुझे सावधान कर देती हूं अगर तू नहीं माना तो तेरा अंत हो जाएगा उस पिशाच ने जब यह बातें ओझा औरत से सुनी तो वह जोर से हंसने लगा और कहने लगा तुझे पता नहीं है कि 1000 साल पुराने पिशाच की शक्ति कितनी ज्यादा हो जाती है कोई भी पिशाच अपनी योनि में 1000 वर्ष नहीं रहता है और मैं रह रहा हूं इसलिए मेरे पास बहुत ही शक्ति है इसलिए मुझे कोई भी पराजित नहीं कर सकता है अगर तू अपना भला चाहती है तू यहां से निकल जा नहीं तो मैं तुझे भी मार कर अपनी सेविका बना डालूंगा यह सुनकर वह ओझा औरत ने अपने मंत्रों का प्रयोग उस पिशाच पर किया पर उस पिशाच को कुछ भी नहीं हुआ यह देख कर पिशाच को बहुत ही क्रोध आया और उसने उस ओझा औरत को घर से बाहर उठा कर फेंक दिया जब वह ओझा औरत बाहर गिर गई तो उसे देखकर मंजूषा उसके पास पहुंच गई और उससे कहा क्या हुआ अंदर और तुम इस प्रकार कैसे बाहर आकर गिरी हो तब उस ओझा औरत ने उसके साथ जो सारी बात बिती वह उसने मंजूषा को बता दी फिर मंजूषा ने कहा अब कन्या की सुरक्षा के लिए मुझे गृह बंधन करना होगा अब मैं इस घर को बांध दूंगी तो वहां पिशाच घर में प्रवेश नहीं कर पाएगा

                अब ध्यान रखना होगा कि यह कन्या विवाह होते तक घर के बाहर ना जाए इस प्रकार मंजूषा ने घर में जाकर घर को मंत्र तंत्र से बांध दिया और घर में चारों कोनो में अभिमंत्रित किए हुए किले गाड़ कर घर को सुरक्षित कर दियाअब आगे विवाह की रात आई तो देखा गया कि वह कन्या जिसका विवाह होना था वह घर पर नहीं थी |


आगे क्या हुआ यह जानेंगे हम अगले भाग में…….


 PART = IV

 तांत्रिक साधनाओं की जानकारी

तांत्रिक मंजूषा जिसने अपने जीवन में तांत्रिक बनने के लिए कई संघर्ष है किए हैं.....



            अभी तक क्या आपने जाना की मंजूषा जब जल में तपस्या कर रही थी तो उसे चारों ओर से मगरमच्छों ने घेर लिया था वह फिर भी अपनी साधना करती रही, साधना करते समय मंजूषा को मगरमच्छ काटते और भाग जाते लेकिन मंजूषा अपनी साधना नहीं छोड़ रही थी क्योंकि वह पहले ही निर्णय कर चुकी थी चाहे जीवन में जो हो अब उसे सिद्धियों को प्राप्त करना ही है अपने शरीर को तो वह पहले ही गंवा चुकी थी उसकी इज्जत तो वह पहले ही खो चुकी थी अब उसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं बचा हुआ था उसके यही दृढ़ प्रतिज्ञा से उसने अपने इस जप को पूरा कर लिया जब उसने अपने चारों और मगरमच्छों को देखा तो वह जल्द से बाहर निकलने के पूर्व उन मगरमच्छों को प्रणाम करने लगी



            तभी उन मगरमच्छों ने स्त्रियों का रूप धारण कर लिया और सभी ने मंजूषा से कहा तुम्हारी साधना अब सफल हुई हम तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए आई थी तुम्हारे शरीर में लगे हुए सारे घाव नष्ट हो जाएंगे तुम इस बात के लिए परेशान मत होना हम तुम्हें सिद्धियां प्रदान करते हैं 2 वर्ष के अखंड जाप के पश्चात तुम्हें योगिनी स्वरूप मिल जाएगा यह सुनकर मंजूषा प्रसन्न हुई क्योंकि अब उसके जीवन में बहुत कुछ अच्छा होने जा रहा था इसके बाद मंजूषा अपने गुरु के पास जाकर अपनी सारी आपबीती बताई फिर गुरु ने मंजूषा को आशीर्वाद दिया और कहा कि तुम जाओ और जैसा योगिनी माताओं ने कहा है वैसा ही करो तुम एक गुफा में जाकर अखंड जप करना प्रारंभ करो उसके बाद मंजूषा एक पर्वत पर जाकर प्राकृतिक गुफा में साधना करने लगी इस प्रकार 2 वर्ष लगातार जप किया वह केवल भोजन करने के लिए ही उठती थी इस प्रकार उसने वहां पर 2 वर्ष तक जप किया |



                 उसके बाद उसके सामने महायोगिनी माता प्रकट हुई उसके बाद माता ने मंजूषा को आशीर्वाद स्वरुप योगिनी स्वरूप प्रदान किया यह शक्ति पाकर मंजूषा बहुत शक्तिशाली हो गई थी पर वह और अधिक शक्ति पाना चाहती थी और यह आध्यात्मिक यात्रा वह लगातार करना चाहती थी इसलिए उसने महायोगिनी माता से कहा माता मुझे और भी शक्तिशाली बनना है कृपया कर मुझे और मार्ग बताइए उसकी यह जिज्ञासा देखते हुए महायोगिनी माता ने कहा ठीक है तू यही मंत्र का 12 वर्ष तक जाप कर इसके बाद तू सिद्धा भैरवी बन जाएगी और फिर तेरी सामर्थ किसी देवता से भी अधिक होगी यह सुनकर मंजूषा ने देवी मां को प्रणाम किया और वह लग गई अपने तपस्या में मंजूषा केवल भोजन बनाने के लिए ही उठा कर दी थी और भोजन के लिए वह पास गांव में भिक्षा मांगा करती थी बाकी का शेष समय वह अपनी साधना में लगा दी थी धीरे-धीरे उसके 12 वर्ष हो गए और उसके सामने त्रिपुर भैरवी मां शक्ति प्रकट हुई माता भैरवी मंजूषा से प्रसन्न होकर उसे से सिद्धा भैरवी होने का वरदान देती है और इस प्रकार मंजूषा की तपस्या पूर्ण होती है जो उसकी इच्छा थी वह भी पूर्ण हो जाती है और वह एक सिद्ध भैरवी बन जाती है जिसमें देवताओं से भी अधिक सामर्थ होती है पर मंजूषा और साधना करना चाहती है इस पर माता त्रिपुर भैरवी उससे कहती है पुत्री अब साधना छोड़ो और संसार का भला करो क्योंकि यह संसार में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें उचित मार्गदर्शन नहीं मिलने से उनका जीवन अस्त व्यस्त हो गए हैं इसलिए इस संसार में जाओ उन लोगों की मदद करो |

            




            इसके बाद मंजूषा उस उचे पर्वत शिखर से एक नगर की ओर चल पड़ी और उस नगर में वह अपना एक आश्रम बन जाती है उसके पास तांत्रिक शक्ति होने के कारण वह धन को अपनी इच्छा अनुसार प्रकट कर सकती है इसलिए वह बहुत जल्दी ही अपना आश्रम बना लेती है और वह आश्रम में हर रविवार भंडारा करवा दी थी और वहां पर पूजन पाठ करती थी और लोगों की समस्याओं का समाधान करती थी धीरे-धीरे समय बीतता गया और वह चारों ओर प्रसिद्ध हो गई मंजूषा अपने बीते समय में हुई सारे पापों और समस्याओं से मुक्त हो चुकी थी वह जीवित सिद्धा भैरवी थी |




                 1 दिन की बात है कि उस नगर में एक व्यापारी रोते-रोते घूम रहा था उसे रोते हुए देख कर उसे एक व्यक्ति ने कहा की है भाई तुम्हें क्या समस्या है तो उस व्यापारी ने उसे बताया कि मेरी पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा है उसकी परेशानी सुनने के बाद उस व्यक्ति ने कहा क्या तुम्हें धमकी पर परेशानी है या फिर वर की समस्या है व्यापारी ने कहा नहीं मुझे ना धन की समस्या है नावर की समस्या है किंतु मुझे ऊपरी बाधा की समस्या है क्योंकि मेरी पुत्री भी विवाह करना चाहती है पर ऊपरी बाधा के कारण उसके विवाह में समस्या उत्पन्न हो रही है यदि आप कोई उचित मार्ग जानते हैं तो कृपया कर मुझे बताएं उसके बाद उस व्यक्ति ने उससे कहा कि तुम बहुत उचित जगह आए हो यही पास ही में माता मंजूषा भैरवी का आश्रम है आप वहां जाइए और उनसे अपनी सारी समस्याओं को बताइए वह जरूर आपकी सहायता कर पाएगी मुझे पूर्ण रुप से विश्वास है कि वहां पर जाकर आपकी सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा इस प्रकार व्यापारी वहां से अपने अधीर मन के साथ मंजूषा के आश्रम में पहुंच गया वह उसने देखा की देवी मंजूषा वह अपने भैरवी रूप में विद्यमान थी तब मंजूषा ने उसे देखते हुए कहा कि तुम्हें देखकर लगता है कि तुम बहुत ही बड़ी समस्या से गिरे हुए हो बताओ तुम्हारी क्या समस्या है फिर व्यापारी ने कहा देवी मेरी एक कन्या है जो बहुत सुंदर है मैं उसका विवाह करना चाहता हूं मैंने उसका विवाह एक बड़े व्यापारी के बेटे से करना चाहा मगर विवाह के समय कि उसका बेटा मृत्यु को प्राप्त हो गया फिर मैंने दूसरा लड़का ढूंढा उसकी भी मृत्यु हो गई फिर मैंने तीसरा लड़का ढूंढा उसे बताया कि कोई ऊपरी बाधा है जिसके कारण यह समस्या हो रही है तो उस लड़के के परिवार वालों ने उसे एक दिव्य ताबीज बांधा जिससे उसकी मृत्यु तो नहीं हुई पर शादी के वक्त मेरी पुत्री ने जो शादी का कपड़ा पहना था उसमें आग लग गई पर मैंने तुरंत ही दूसरा कपड़े का इंतजाम करवाया मगर कुछ समय बाद उसमें भी अचानक से आग लग गई यही समस्या है उसकी शादी नहीं होती है कुछ ना कुछ समस्या आ ही जाती है आप मेरी समस्या का समाधान कीजिए |




                 तब देवी मंजूषा समझ चुकी थी कि अब उनके जाए बिना इस समस्या का समाधान नहीं होगा फिर देवी मंजूषा उस लड़की की और चल पड़ी जैसे ही मंजूषा उस घर में प्रवेश करती है तो उस घर में अफरा-तफरी मच जाती है व्यापारी की पत्नी तुरंत व्यापारी के पास आकर कहने लगी यह कन्या स्नान करते वक्त मूर्छित होकर गिर पड़ी है चलो जल्दी से उसके पास चलो देवी मंजूषा सहित सारा परिवार उस लड़की के पास पहुंचा मूर्छित कन्या को जैसे तैसे जगाया गया जागने के बाद वह कन्या कहने लगी कि नहाते वक्त मेरे साथ बलात्कार हुआ है और ऐसा किसी ने मेरे साथ नहाते वक्त किया है या सुनकर मंजूषा अत्यंत क्रोध में आ गई |

आगे जानेंगे देवी मंजूषा ने उस लड़की की सुरक्षा कैसे की

Tuesday, August 3, 2021

 PART -III

 तांत्रिक साधनाओं की जानकारी

तांत्रिक मंजूषा जिसने अपने जीवन में तांत्रिक बनने के लिए कई संघर्ष है किए हैं.....

             पिछले भाग में हमने जाना कि मंजूषा के साथ अघोरी बाबा ने आलिंगन किया और वह घबरा रही थी चलिए अब जानते हैं आगे .......


                   चुकी अघोरी गुरु मंजूषा को भोग की वस्तु बनाकर विद्या हासिल करना चाहता था इसी कारण से अघोरी गुरु ने मंजूषा को ऐसी स्थिति में डाल दिया था अब मंजूषा के पास कोई और विकल्प नहीं था इसी कारण वह अघोरी गुरु का साथ दे रही थी और उसकी बात मानने को तैयार थी अघोरी के संबंध बनाने की कोशिश करते रहने पर मंजूषा लगातार उस का साथ देती रही और अघोरी गुरु अपनी मनमर्जी चलाता रहा और इस प्रकार अघोरी गुरु ने उसके साथ शारीरिक संबंध सारी रात बनाएं और मंजूषा परेशान होकर और अपने शरीर को अस्त-व्यस्त देखकर जीवन को समाप्त करने का विचार कर रही थी इस प्रकार सुबह के समय अचानक ही वहां पर एक भयानक शक्ति प्रकट हो गई और पूजा अघोरी गुरु से कहने लगी कि तू मुझसे क्या चाहता है अघोरी गोरी गुरु ने कहा मैंने तुझे प्रसन्न किया है मैं चाहता हूं किंतु इसका शरीर धारण करें और मेरी सदैव के लिए सहायिका बनकर मेरा जीवन सफल कर फिर उस शक्ति ने कहा ठीक है तुम इसकी बलि दे दो इसकी बलि के बाद मैं इसके शरीर में आ जाऊंगी क्योंकि मुझे इसके अंदर दिव्य ऊर्जा दिखाई देती है इसलिए इसका मरना आवश्यक है इसके बाद ही मैं इसके शरीर को धारण कर पाऊंगी यह सब बातें सुनकर बेसुध पड़ी हुई मंजूषा अब अंतिम समय की तैयारी करने लगी वह जान गई कि मेरे शरीर को तो छल लिया है लेकिन अब मेरे जीवन को भी समाप्त कर दिया जाएगा मंजूषा जीवन की ऐसी अवस्था में पहुंच गई थी कि वह कुछ भी नहीं कर सकती थी अब उसका जीवन उसकी मृत्यु का इंतजार कर रहा था लेकिन पता नहीं कहां से उसके अंदर सामर्थ आ गई और उसने स्वयं को समझाया कि जो कुछ मेरे भाग्य में लिखा था वह तो सब मेरे साथ हो चुका है लेकिन मैं जो अपने जीवन में कर सकती हूं वह तो मैं अवश्य ही करूंगी अब उसने गुस्से से अपने आप को तैयार किया जो कोई मुझे समाप्त कर देना चाहता है मैं ही उसे समाप्त कर दूंगी इधर अघोरी गुरु ने उससे कहा तू बड़ी भाग्यशाली है तेरा शरीर तूने मुझे दिया और मुझे सुख दिया अब तो मुझे मरते मरते सिद्धि भी प्रदान करती जा रही है सच में मुझे तेरी जैसी लड़की कहीं और नहीं मिलती जो मुझे अपना सर्वस्व दे चुकी है इतना कहकर वह अघोरी गुरु हंसने लगा यह सब बातें और अघोरी के लिए एक मजाक से ज्यादा कुछ नहीं थी अब बात थी मंजूषा के लिए अब वह मंजूषा को मारने के लिए एक कटार लेकर आया और उस कटार पर कुछ मंत्र अभिमंत्रित किए सामने खड़ी वह भयानक शक्ति वह इस बात का इंतजार कर रही थी कि कब मंजूषा की बलि दी जाए उसे मारने के लिए पहले अघोरी ने उस शक्ति को नमन करने की कोशिश की फिर अचानक से मंजूषा अपने थके हुए शरीर से अचानक से उठी और वहां पड़ी हुई कटार को उठाया फिर अघोरी गुरु की गर्दन काट दी इस प्रकार अघोरी गुरु की वही तड़पते हुए मृत्यु हो या |


                 अब सामने खड़ी हुई शक्ति चलाकर गायब हो गई अब मंजूषा तेजी से नदी की ओर दौड़ी क्योंकि वहां पर उसके वस्त्र पड़े हुए थे और वहां जाकर उन्हें जल्दी-जल्दी अपने वस्त्र पहने क्योंकि वह जानती थी अगर कोई अघोरी गुरु की मरने की सूचना उसके चेलों को मिल गई तो वह उसे मार डालेंगे इसलिए उसे नदी पार करना आवश्यक था उसने माता का नाम लेते हुए नदी में छलांग लगा दी क्योंकि उसे तैरना आता था इसलिए उसे इस बात का भी नहीं था कि वह नदी में डूब जाएगी लेकिन उसका शरीर रात भर की रतिक्रिया के बाद थक चुका था जिसके कारण उसका शरीर ज्यादा देर तैरने की इजाजत नही दे रहा था फिर भी वह नदी में तेरी अचानक से उसे नदी का चोर मिल गया और उसने अपने थके हारे शरीर को उस नदी से बाहर निकाला और एक बबूल के पेड़ के नीचे जाकर लेट गई बबूल का पेड़ झाड़ियों से घिरा हुआ था और मंजूषा को उससे ज्यादा सुरक्षित स्थान नहीं मिल रहा था इसलिए उसे स्थान में जाकर वह सो गई जब उसकी अचानक से नींद खुली तो उसने सामने देखा की एक भयानक रूप वाली स्त्री उसके पास खड़ी थी उसने मंजूषा की गर्दन दबाना शुरू कर दी |




                  मंजूषा झटपट आने लगी मंजूषा को समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब उसके साथ क्या हो रहा है ऐसी स्थिति में मंजूषा ने बड़े ही प्यारे शब्द उस भयंकर शक्ति से कहा कि हे मां मुझसे क्या गलती हो गई है जो आप मेरी गर्दन दबा रहे हैं ऐसे शब्द सुनकर वह जो भयानक शक्ति थी जो बबूल के झाड़ में निवास करती थी वह मां शब्द सुनकर ही शांत हो गई फिर उस शक्ति ने कहा तूने मुझे मां शब्द क्यों कहा तो मंजूषा ने कहा कि आप मुझे मेरी मां की तरह दिखती हो फिर मंजूषा ने कहा आप मुझे क्यों मारना चाहती हो तो और भयंकर शक्ति जो यक्षिणी थी ने कहा तूने मेरे स्थान में आकर इस स्थान को अपवित्र कर दिया है क्योंकि तुझसे अभी भी रक्त निकल रहा है फिर मंजूषा ने कहा कि मां कृपया कर मेरी बात सुनिए मेरे शरीर से जो रक्त बह रहा है वह मेरी गलती नहीं है मेरे साथ बहुत बुरा हुआ है और मेरे शरीर को रात भर चला गया है मैंने जानबूझकर यहां शरण नहीं ली थी मैं केवल अपनी रक्षा के लिए कहीं छिप कर बैठना चाहती थी जिसके लिए मुझे यह स्थान उचित दिखा यह सब सुनकर यक्षिणी ने मंजूषा से कहा पुत्री तू परेशान ना हो क्योंकि मैंने अपनी शक्ति से तेरे साथ जो भी हुआ है उन सभी घटनाओं को जान लिया है पुत्री तू परेशान ना तुम यहां से जाओ कुछ दूरी पर एक मंदिर है उस मंदिर में एक दुर्गा मां का भक्त रहता है उसके पास जाकर अपनी सारी समस्याओं का समाधान तुम पा सकती हो और तू इस बात से परेशान ना होना कि वह भी उस पुराने अघोरी के जैसा होगा और फिर उस यक्षिणी ने उसके सर पर हाथ रखा जैसे कि एक चमत्कार हुआ हो उसके शरीर की सारी थकान दूर हो गई और उसके सारे गुप्त अंगो की चोटे ठीक हो गई अब वह पूरी तरह स्वास्थ्य और शक्तिवान दिख रही थी





         वह तैयार हो गई और वह यक्षिणी के बताए हुए मार्ग पर चलने लगी तब उसे चलते चलते वह मंदिर दिखा जहां पर तांत्रिक भक्तों मां दुर्गा की पूजा करते हुए मिला फिर मंजूषा ने अपनी सारी बातें उस भक्त को बता दी फिर कोई तांत्रिक भक्तों ने मंजूषा से कहा अगर तुम्हें तांत्रिक विद्या में सफलता चाहिए तो तुम्हें अपने शरीर को जीतना होगा मंजूषा ने कहा आप मार्ग बताएं उस तांत्रिक भक्तों ने कहा तुम्हें पहले मुझसे गुरु दीक्षा लेनी होगी और इस प्रकार मां दुर्गा के तांत्रिक भक्ति ने मंजूषा को मां दुर्गा का तांत्रिक मंत्र साधना करना सिखाया इस प्रकार मंजूषा को पहली बार मां दुर्गा के मंत्र से गुरु दीक्षा में शक्तिशाली मंत्र का आभास हुआ अब वह तैयार थी साधनाओ के अगले स्तर पर पहुंचने के लिए फिर मंजूषा ने कहा गुरुदेव मुझे जीवन में बहुत सारी शक्तिशाली शक्तियां प्राप्त करनी है क्योंकि मैंने अपने जीवन में मृत्यु तक को देखा है इसलिए मैं भी नहीं करती मैं कुछ भी करने की सामर्थ्य रखती हूं चाहे उसमें मेरे प्राण भी चले जाए उसके अंदर ऐसी जिज्ञासा देखकर तांत्रिक भक्तों ने उससे कहा मैं तुम्हें सबसे पहले अग्नि परीक्षा के लिए भेजता हूं फिर उस तांत्रिक भक्तों में एक घेेरा बनाएं उसके चारों और अग्नि लगा दी और मंजूषा से कहा तुम्हे रात भर इस घेरे के अंदर गुरु मंत्र जाप करने होंगे मंजूषा ने कठिन का से यह परीक्षा पूर्ण कर ली अगले रात उसे पर्वत पर तेज हवाओं में जाकर एक बार में खड़े होकर मंत्र जाप करना था इस प्रकार मंजूषा ने अगली रात उस पर्वत शिखर पर जाकर मंत्र जाप एक पाव पर खड़े होते हुए पूरा कर लिया अब तीसरी रात को इस तांत्रिक भक्तों ने मंजूषा से नदी में गर्दन भर पानी में रहकर मंत्र जाप करने को कहा इस प्रकार मंजूषा सारी रात नदी में खड़े रहकर सारी रात जाप करने लगी फिर सुबह के समय अचानक से उसके चारों तरफ मगरमच्छ आ गए इस समय उसका तांत्रिक गुरु उसके पास नहीं था |



अब हम अगले भाग में जानेंगे क्या मंजूषा अपने तीसरे चरण की परीक्षा में पास हुई...


तांत्रिक साधनाओं / Tantra Mantra Sadhna

 PART -II

 तांत्रिक साधनाओं की जानकारी

तांत्रिक मंजूषा जिसने अपने जीवन में तांत्रिक बनने के लिए कई संघर्ष है किए हैं.....

        हमने पिछले भाग में मंजूषा के बारे में जाना कि वह किस प्रकार अपने घर से भागकर घने अंधेरे में जंगल में आ गई और उसे डाकू ने घेर लिया अब इससे आगे यह कथा को शुरू करते हैं



अब तो मंजूषा की इज्जत के साथ बनाई आप वह करती भी क्या 16 साल की कमसिन लड़की पहली बार घर से बाहर निकल कर परेशान हो रही थी क्योंकि उसे तो इस दुनियादारी का पता ही नहीं था आखिर वह कमसिन लड़की करती है क्या वह बेचारी घबरा गई और घबराकर उसने हाथ जोड़कर देवी मां से प्रार्थना करें कि हे देवी मां मेरी रक्षा करें कहीं से भी मेरे लिए मदद भेजिए इस प्रकार मैं इनकी रखैल बनकर नहीं रह सकती अगर इंदाको ने मुझे उठा लिया तो पता नहीं यह मेरे साथ कब तक अपनी मनमानी करते रहेंगे इधर डाकुओं ने मंजूषा से कहा चलो हमारे साथ नहीं तो हम तुझे जान से मार डालेंगे और हम सब की पत्नी बन कर खुशी खुशी रहो क्योंकि जब हम डकैती करके आते हैं तो हमें खुद खाना बनाना पड़ता है तुम हमारे लिए खाना बना दिया करना और हम सब की पत्नी बन कर रहना और हमारे लिए बच्चे उत्पन्न न करना यह सब सुनकर वह बेचारी मंजूषा घबरा गई तभी एक डाकू उसकी और बड़ा और उसे उठाकर ले जाने की कोशिश करने लगा मंजूषा जोर जोर से रोने लगी और कहने लगी हे देवी मां मेरी मदद करो हे देवी मां मेरी मदद करो



लेकिन उसकी पुकार सुनने वाला वहां पर कोई नहीं था लेकिन वहां पर अचानक से कोई मदद आ गई वह थी अघोरियों की एक टोली, वह रात बिताते चल रहे थे और उन्होंने डाकुओं पर हमला किया और उन्हें जताने की कोशिश की की जंगल में केवल उन्हीं का राज नहीं चलता अघोरियों का भी चलता है इस प्रकार मंजूषा की उन अघोरियों ने सहायता की क्योंकि डाकू अघोरियों के सामने बेबस हो गए थे क्योंकि अघोरियों के पास विशेष प्रकार की विद्या थी वह कहीं पर भी आग लगा देते थे यहां देख कर डाकुओं ने सोचा कि इस लड़की को यही छोड़ देते हैं अन्यथा हम सब मारे जाएंगे इसलिए सभी डाकू वहां से चले गए इस प्रकार मंजूषा की मदद हुई मंजूषा ने हाथ जोड़कर उन सभी अघोरियों का धन्यवाद किया तब अघोरियों ने उस कन्या को अपने अघोरी गुरु के पास ले गए तब अघोरी गुरु ने मंजूषा को देखा तो वह उस पर मोहित हो गया और कहने लगा यह कन्या तो अत्यंत ही सुंदर है और कुंवारी भी है मैं इसे अपनी भैरवी बनाऊंगा यह सुनकर मंजूषा ने उस अघोरी से कहा यह भैरवी क्या होती है अघोरी ने कहा तुम्हें मेरी सहायता बनकर साधनाओ में मेरी मदद करनी होगी लेकिन यह सारी वाममार्गी साधनाए हैं इसलिए तुम्हें अजीब भी लगेगा लेकिन तुम्हारी जान मेरे साथियों ने बचाई है इसलिए तुम्हें कर्ज भी उतारना ही पड़ेगा फिर मंजूषा ने सोचा मुझे की सारी बात मान लेनी ही चाहिए क्योंकि मंजूषा के पास कोई विकल्प ही नहीं था इस प्रकार मंजूषा ने अघोरी गुरु को हां कर दी क्योंकि उनके बिना कोई उसके जीवन की सुरक्षा कौन कर सकता है |



कुछ दिन बीतने के बाद अघोरी गुरु ने कहा जाओ तुम इस नदी में और अपने सारे वस्त्र उतारकर इसमें स्नान करके नग्न अवस्था में मेरे पास आओ और यह जो सामने चिता जल रही है और एक गेरा बना रखा है उस घेरे के अंदर बैठ जाना यह सुनकर मंजूषा घबरा गई और सोचने लगी कि क्या मुझे इस अघोरी के सामने नग्न होना पड़ेगा यह कैसी विडंबना है क्या तंत्र में ऐसा सब कुछ होता है उसने तो सोचा था कि तंत्र मार्ग तो बड़ा उत्तम मार्ग है और इससे सिद्धियां प्राप्त होती है किंतु यहां पर तो उसके साथ जीवन में कुछ और भी घटित हो रहा था यह बात मंजूषा वहां कुछ देर खड़ी होकर सोचती रही यह देख कर अघोरी गुरु गुस्से में मंजूषा से कहने लगा जाओ तुरंत जाओ उस नदी में नहाकर यहां पर जल्दी से जाकर वापस आओ फिर मंजूषा ने उस अघोरी बाबा से कहा कि मैं यह कार्य नहीं कर सकती अघोरी बाबा ने उसे कहा तुम्हारे जीवन की रक्षा मैंने की थी अगर तुमने मेरा कहा नहीं माना तो मैं तुम्हें वापस उन्ही डाकू के पास छोड़ कर आ जाऊंगा फिर वह तुम्हारे साथ क्या-क्या करेंगे जीवन भर यह तुम्हें पता नहीं यह बात सुनकर मंजूषा घबरा गई और उसने सोचा कि अब इस बाबा की बात तो मानना ही पड़ेगा क्योंकि यहां उसके जीवन का प्रश्न था फिर मंजूषा ने नदी के पास जाकर सारे वस्त्र उतारकर स्नान करके वहां से वह पवित्र हो के वह चलती हुई बाबा ई पास आ गई फिर अघोरी बाबा उसे चिता की आग में उसे अपनी आंखों से ऐसे घूर रहा था जैसे कि वह एक भूखा भेड़िया हो और उसने कहा कि तुम बहुत ही सुंदर हो जाओ उसे घेरे में बैठ जाओ फिर मंजूषा अपने अंगों को छुपाती हुई बस गहरे में जाकर बैठ गई अब उसका गोरी गुरु ने कहा कि मैं मंत्र जाप शुरू करने वाला हूं मैं कुछ देर मंत्र जाप करूंगा फिर इस घेरे में अंदर आकर तुमसे आलिंगन करूंगा तुम्हें डरना या घबराना नहीं है आज तुम्हारा और मेरा मिलन इस घेरे के अंदर होगा और इससे हमें तांत्रिक से दिया प्राप्त होगी यह सुनकर मंजूषा के हाथ पांव कांपने लगे उसने नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ उसके साथ घटित होगा डर के मारे उसके शरीर से पसीने के धार कैसे निकलने लगी जैसे कि बारिश हो रही हो किंतु उसके सामने कोई अन्य विकल्प था ही नहीं वह करती भी क्या घर से भागकर वह आई थी अब सोच रही थी कि यह तंत्र विद्या का विचार मैंने बहुत बुरे समय में किया था मुझे नहीं पता था कि घर के बाहर की दुनिया इतनी खराब होगी अब पता नहीं अब मैं क्या करूं अब मेरी कौन रक्षा करेगा इस प्रकार वह सोचते भी वहां पर बैठी रही और अघोरी गुरु ने जोर-जोर से मंत्रों का उच्चारण शुरू कर दिया वह जलती चिता में कुछ फेकता और चारों तरफ देखता फिर वह मंत्र का उच्चारण करता वह इस प्रकार लगभग आधे पहर तक जाप करते रहा, ऐसा करते चिता की आग और तेज और तेज और तेज होती चली गई जैसे-जैसे अघोरी का समय आगे बढ़ते जा रहा था मंजूषा घबराती हुई यह सोचने लगी कब मेरी इज्जत समाप्त होगी और मैं पहली बार ऐसे इस भोग को भोगोगी इस प्रकार से मंजूषा के जीवन में एक भयंकर तूफान आने वाला था



कुछ समय बाद अघोरी ने एक बकरे का सिर काट के उस हवन रूपी चिता में डाल दिया उसके गले का रक्त एक खप्पर में इकट्ठा किया और फिर उसी रक्त को ऐसे पिया जैसे साधु लोग शराब पीते हैं रक्त पीने के बाद वह अघोरी गुरु बड़ चला मंजूषा की ओर, मंजूषा जो अब तक कुछ शांति थी वह यह सब देखकर घबराने लगी और वह अघोरी गुरु मंजूषा के निकट आकर उसका आलिंगन करने लगा अघोरी ने जैसे उसे भोग की सामग्री बना दिया था और मंजूषा बहुत घबराने लगी


और आगे हम जानेंगे कि मंजूषा अपने इस जीवन के बुरे समय से कैसे निजात पाती है


तांत्रिक साधनाओं / मंजूषा भाग –१/Tantra Mantra Sadhna

PART = I

 तांत्रिक साधनाओं की जानकारी

तांत्रिक मंजूषा जिसने अपने जीवन में तांत्रिक बनने के लिए कई संघर्ष है किए हैं.....


        कई लोगों की ऐसी इच्छा होती है कि वह तंत्र के बारे में जानकारी चाहते हैं इसी बारे में हम उन्हें कुछ कथाओं के माध्यम से उन्हें तंत्र के बारे में बताने की कोशिश करेंगे कि वह तंत्र को अच्छी तरीके से जान सके तो चलिए

        आपको मैं तांत्रिक मंजूषा के जीवन में घटित हुई कहानियों को बताऊंगा तांत्रिक भैरवी मंजूषा के विषय में बहुत कम लोग जानते हैं क्योंकि यह आज के नहीं यह 1000 वर्ष पहले की बात है और उस दौरान हमारे देश में अच्छे साधन उपलब्ध नहीं थे उस समय कैसे एक स्त्री घर से बाहर निकल कर तंत्र विद्या सीख और अपने जीवन में किस प्रकार उनका प्रयोग करके लोगों की समस्याओं का हल करती हैं|


        तांत्रिक बनने की इच्छा कभी-कभी स्त्री में जागृत होती है जब वह अपने घर में परेशान होने लगती है |

        

        रामदीन की दो लड़कियां थी एक का नाम मंजूषा और दूसरी का नाम काव्या था रामदीन की दो औरतें थी जिसमें मंजूषा उसकी पहली पत्नी की लड़की थी उसे घर में इतना मान सम्मान नहीं मिलता था उसकी सौतेली मां उसके साथ बुरा व्यवहार करती थी उसे घर से निकलने की भी अनुमति नहीं थी क्योंकि उसके पिता जिस ने दूसरी शादी किया वह दूसरी शादी वाली पत्नी से प्रसन्नता था उसके अलावा वह और किसी बात के बारे में नहीं सोचता था वह जैसा कहती थी वह वैसा ही करता था यह देखकर मंजूषा बहुत परेशान रहने लगी उसे लगता था कि वह इस घर को त्याग दें तो वह खुश रहेगी परंतु उसकी सौतेली मां शायद उसका अच्छी जगह रिश्ता ना करती यही विचार मंजूषा के मन में चलता रहता था और वह परेशान रहती थी


        जब वह 16 वर्ष की हुई तो शादी के लिए उसके घर कई लोग आते थे और उसे बहुत मान सम्मान देते थे क्योंकि वह श्वेत रंग की थी और अत्यंत ही सुंदर थी यह बात उसकी सौतेली मां और उसकी सौतेली बहन को अच्छी नहीं लगती थी |

एक बार की बात है कि उनके गांव में एक साधु आया और वह लोगों को चमत्कार दिखाया करता था, घर घर जाकर भिक्षा मांगा करता था | घूमते घूमते वह एक दिन मंजूषा के घर पहुंच गया और बाहर खड़े होकर उस साधु ने खाने के लिए उस घर में कुछ भोजन सामग्री मांगी, मंजूषा की सौतेली मां घर से बाहर निकली और उन्होंने वह साधु को कुछ देने का प्रयास किया जो उन्होंने दान की वस्तुएं दी थी वह सब कंकड़ पत्थर में बदल गई यह देखकर मंजूषा की सौतेली मां बहुत अधिक घबरा गई और वह हाथ पैर जोड़कर उसे साधु से कहने लगी, बाबा यह क्या हुआ, गुस्से में आकर साधु ने कहा तेरे घर में पाप का खाना खाया जा रहा है मगर तेरे घर में कोई ऐसा भी है जिसके कारण तुम और तुम्हारा परिवार सारा बचा हुआ है मंजूषा की सौतेली मां ने कहा बाबा आप ही बताइए जिसके कारण हमारे घर में संकट आने से बच रहा है तब साधु बाबा ने कहा कि घर के सारे सदस्य बाहर निकलो मैं सब को देखना चाहता हूं तब परिवार के सारे सदस्य बाहर आ गए तब साधु बाबा ने कहा कि मुझे लगता है अभी भी घर में कोई एक व्यक्ति है तब मंजूषा के सौतेली मां घर के अंदर गई और मंजूषा को बाहर लेकर आई और मंजूषा को देखकर गांव के सभी लोग अपनी आंखें मलने लगे क्योंकि वह 16 वर्ष की कन्या अत्यंत सुंदर कन्या बन चुकी थी क्योंकि आधे गांव वालों ने तो उसे देखा तक नहीं था उसे देखकर गांव के लोगों में प्रेम भाव उत्पन्न हो गया |

          

 साधु ने उस लड़की की ओर इशारा करते हुए कहा की यही है वह जिसके कारण तुम्हारे परिवार संकटों से बच रहा है और तुमने इसे परेशान करके रखा है अगर तुमने इसे परेशान करना नहीं छोड़ा तो तुम्हारे साथ में बहुत बुरा हो जाएगा मंजूषा की सौतेली मां ने कहा ऐसा कुछ नहीं है यह तो मेरी अत्यंत प्रिय पुत्री है मैं इसे अत्यंत प्रेम करती हूं घर के सारे काम काज तो मैं करती हूं इसे तो मैं फूलों पर बैठा कर रखती हूं आप बताइए बाबाजी क्या समस्या है साधु बाबा ने कहा तुम समझ नहीं रही हो इस कन्या में मुझे तेज दिखाई देता है यह शक्तिशाली भैरवी बन सकती है इसके अंदर पहले से ही तपोबल मौजूद है बस उसे जगाने भर की देर है इसे साधना और तपस्या करनी चाहिए ताकि यह भविष्य में अपना और जगत का कल्याण कर सके मैं इसका भाग्य स्पष्ट देख सकता हूं यह घर में काम करने के लिए नहीं बनी है यार शंकर मंजूषा की सौतेली मां ने कहा बाबा जी आप ठीक ही कह रहे होंगे पर मैं क्या करूं यह तो मेरी प्रिय बेटी है मैं ऐसे किसी भी प्रकार से नहीं छोड़ सकती साधु बाबा ने कहा जो होना है वह तो सोते ही हो जाएगा और बताएं यहां से कुछ दूरी पर ही एक सिद्ध तांत्रिक बाबा रहते हैं वैसे यहां ज्ञान प्राप्त करें तो भविष्य में यह शक्तिशाली तांत्रिक भैरवी बन सकती है और यह कहकर बाबा जी वहां से चले गए |


        बाबाजी के जाने के बाद मंजूषा की सौतेली मां ने उसे घर के अंदर ले जाकर कहा कि जब तक मैं ना कहूं तब तक तुम घर से बाहर नहीं निकलेगी क्योंकि मंजूषा की सौतेली मां को लगता था कि अगर यह घर से बाहर चली गई तो घर के कामकौन करेगा मंजूषा को पहली बार एक ऐसी किरण नजर आई जिसे वह प्राप्त करना चाहती थी क्योंकि उसे इससे पहले लगता था कि उसका जो जीवन है वह व्यर्थ है |

        जब उसने साधु बाबा को सुना तो उनके बातों से प्रभावित होकर उसके मन में तांत्रिक बनने की जिज्ञासा जाग उठी इसलिए वह किसी भी तरह घर से छुटकारा पाना चाहती थी ताकि वह भी एक प्रसिद्ध तांत्रिक बन सके और अपने जीवन का और संसार का भला कर सके वह भी उस बाबा की तरह बनना चाहती थी किसी भी तरह घर से छुटकारा पाकर उस प्रसिद्ध बाबा के पास जाकर तंत्र विद्या को जानना चाहती थी ताकि वह तंत्र विद्या में पारंगत हो सके |

        1 दिन मंजूषा ने रात्रि में अपने कुछ कपड़े पोटली में बांध लिए और बरसों से कुछ पैसे इकट्ठा करके जो उसने रखा था उसकी भी एक छोटी सी कोठी बांध ली और वह उस रात्रि दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई | उस अंधेरे में उसे प्रकाश की किरण नजर आ रही थी जो उसे जीवन में कुछ करने की प्रेरणा दे रही थी और इस प्रकार व घने अंधेरे में आगे बढ़ती गई और वह एक घने जंगल में पहुंच गई और वह एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर सुबह का इंतजार करने लगी उसी समय वहां पर डाकू आ गए मंजूषा को देखकर उनके मन में कामुकता आ गई आपस में डाकुओं ने कहा कि इसे उठाकर ले चलते हैं और ऐसे ले जाकर हम आनंद प्राप्त करेंगे और उन्होंने मंजूषा से कहा कि तुम हमारे साथ चलो हम तुम्हें भोजन पानी प्राप्त करवाएंगे और तुम हम सब की पत्नी बनकर राज करो तब मंजूषा यह सब सुनकर घबरा गई क्योंकि यहां पर उसकी रक्षा करने वाला कोई भी नहीं था |


आगे मंजूषा के साथ क्या हुआ यह जानेंगे हम अगले भाग में….


Wednesday, October 31, 2018

SHIV GYAN


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